घर कितने प्रकार के होते है | मिट्टी के घर, तैरते हुए घर , पत्थर के घर

आपने अपने आस-पास तरह-तरह के घर देखे होंगे। इनमें से कुछ घर कच्चे होते हैं तो
कुछ घर पक्के। कुछ एक मंजिला या दो मंजिला होते हैं तो कहीं-कहीं बहुमंजिला इमारत दिखाई
देती हैं। इन भिन्नताओं के अलावा और भी कई तरह के घर बनाए जाते हैं। क्षेत्र विशेष की
जलवायु / मौसम के आधार पर भी घर के स्वरूप या बनावट में अन्तर दिखाई पड़ता है।

अलग-अलग क्षेत्रों में घर बनाने में प्रयुक्त होने वाली सामग्री भी अलग-अलग होती है।
बाँस का घरइस तरह के घर उन स्थानों पर बनाए जाते हैं
 जहाँ
बहुत अधिक बारिश होती है। ऐसे स्थानों पर घर जमीन से
10-12 फीट की ऊँचाई पर बाँस के मजबूत खम्भों पर बनाए
जाते हैं। बाँस अधिक समय तक पानी में रहने पर भी नहीं 
सड़ता हैं। ये घर अन्दर से भी लकड़ी के बने होते हैं।

बर्फ के घरऐसी जगह जहाँ चारों ओर केवल बर्फ ही बर्फ होती है, वहाँ
लोग बर्फ की सिल्लियों के घर बनाते हैं। ऐसे घर को 'इग्लू' कहते हैं।
ऐसे घर की दीवारें अंदर से छूने पर ठंडी तो लगती हैं, पर वे बाहर
गिरती बर्फ और ठंडी हवा को अन्दर नहीं आने देती। इसके अंदर
आग जलाई जाती है जिससे घर गर्म रहता है।



आपने अपने आस-पास तरह-तरह के घर देखे होंगे। इनमें से कुछ घर कच्चे होते हैं तो
कुछ घर पक्के। कुछ एक मंजिला या दो मंजिला होते हैं तो कहीं-कहीं बहुमंजिला इमारत दिखाई
देती हैं। इन भिन्नताओं के अलावा और भी कई तरह के घर बनाए जाते हैं। क्षेत्र विशेष की
जलवायु / मौसम के आधार पर भी घर के स्वरूप या बनावट में अन्तर दिखाई पड़ता है।
अलग-अलग क्षेत्रों में घर बनाने में प्रयुक्त होने वाली सामग्री भी अलग-अलग होती है।

बाँस का घरइस तरह के घर उन स्थानों पर बनाए जाते हैं जहाँ
बहुत अधिक बारिश होती है। ऐसे स्थानों पर घर जमीन से
10-12 फीट की ऊँचाई पर बाँस के मजबूत खम्भों पर बनाए
जाते हैं। बाँस अधिक समय तक पानी में रहने पर भी नहीं
सड़ता हैं। ये घर अन्दर से भी लकड़ी के बने होते हैं।

बर्फ के घरऐसी जगह जहाँ चारों ओर केवल बर्फ ही बर्फ होती है, वहाँ
लोग बर्फ की सिल्लियों के घर बनाते हैं। ऐसे घर को 'इग्लू' कहते हैं।

ऐसे घर की दीवारें अंदर से छूने पर ठंडी तो लगती हैं, पर वे बाहर
गिरती बर्फ और ठंडी हवा को अन्दर नहीं आने देती। इसके अंदर
आग जलाई जाती है जिससे घर गर्म रहता है।



मिट्टी के घर



ऐसे स्थान जहाँ बारिश बहुत कम होती है तथा अत्यधिक
गर्मी पड़ती है, वहाँ लोग मिट्टी के घर बनाकर रहते हैं। घर की
दीवारें बहुत मोटी होती हैं। मिट्टी सूर्य की गर्मी से सूखकर कठोर
हो जाती है। मोटी दीवारों के कारण गर्मी घर के अंदर नहीं आ
पाती है।

तैरते हुए घर



इस प्रकार के घर लकड़ी के डोंगे की भाँति बने होते
हैं। ये नावों की तरह पानी में तैरते रहते हैं। इसलिए इसे तैरते
हुए घर या हाउसबोट भी कहते है।


इसे भी जानें -
चीन में बहुत से लोग नाव पर बने घरों में रहते, खाते-पीते और सोते हैं। यह अपने लिए
इसी पर सब्जियाँ उगाते हैं और मुर्गियाँ भी पालते हैं। इन घरों को 'सामपान' कहते हैं।


पत्थर के घर



ऐसे घर पर्वतीय क्षेत्रों में दिखते हैं। इस प्रकार के घर
पत्थरों को काटकर उन्हें एक के ऊपर एक रखकर बनाए
जाते हैं। पत्थरों के ऊपर मिट्टी और चूने की पुताई की
जाती है। पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश बहुत अधिक होती है तथा
बर्फ भी गिरती है। अतः ऐसी जगह पर घरों की छत सपाट
नहीं बनाई जाती है। इन घरों की छत ढलवा होती है।


घुमन्तू लोगों के घर



ऐसे लोग जो हमेशा एक जगह पर स्थायी रूप से नहीं
रहते हैं, वे इस प्रकार के घर में रहते हैं। इन्हें जहाँ ठहरना
होता है, वहाँ ये अपना घर अस्थायी रूप से टेन्ट आदि की।
मदद से बना लेते हैं। कभी-कभी लोग आवश्यकतानुसार भी
इस तरह के घर बनाकर रहते हैं। जैसे बाढ़ या भूकम्प वाले
क्षेत्रों में लोग प्रायः इस तरह के घर बनाकर रहते हैं।






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